आपको सांस लेने की स्वतंत्रता है।
आप जो चाहे कर सकते है॥
हर तरह के बंधनों को तोडने के लिए आप आजाद है।
आप जहां जाना चाहे जा सकते है॥
हर दिन आपका है।
जो चाहे बोल सकते है॥
जहां चाहे वहां रात बिता सकते है।
अपनी प्रतिग्या को भंग करने के लिये आप स्वतंत्र है॥
खुद की मुस्कान पर आपका हक है।
किसी भी तरह की शर्त के लिये आप बाजी लगा सकते है॥
लेकिन यह सब करते हुये हमेशा ध्यान रखिए कि किसी ना किसी की नजर आप पर है।
7 comments:
अच्छी रचना, बधाई स्वीकारें..
***राजीव रंजन प्रसाद
शुक्रीया राजीव भाइ ..बडा सुखद लगा आपका बधाइ संदेश ...
बहुत सुन्दर। क्या बात कह दी आपने । वाह !
शोभा जी ये कविता मेरी नही है बल्कि किसी बडे कवि की है लेकिन साहित्य जगत ये नही पता कर पाया कि इसके असली रचनाकार कौन है। मेरी ये इच्छा थी कि इसे पोस्ट किया जाय ..खैर आपने पढा मुझे बहुत अच्छा लगा।
जिसकी भी लिखी हो-कविता और संदेश दोनों ही उम्दा हैं. आपका आभार प्रस्तुत करने के लिए.
भाई आलोक एक अच्छी रचना पोस्ट करने के लिये बधाई। खुद को कन्फ्युस्ड कह दुसरों को मिसगाइड करने की आपकी विधा रास आयी।
आपका अंदाजे बया इसलिये भी पंसद आया क्योकि हम दोनो के थोबडे में समानता है, न-न कन्फ्युस्ड न होवे मैं आपका हमशक्ल नही हू, बस लोगो को मिसगाइड करने के लिये दाढी बढाकर अपनी बौद्धिकता को पुख्ता करवाता हू वो भी आपकी तरह पैसे बचाकर।
The person who compose the poem is fine. I deeply obiliged for this.
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