Wednesday, June 11, 2008

नारी तू नारायणी

( एक मित्र ने मुझे एक लतीफा मेल किया था ..मैनें पहले इसे नही सुना था ..हो सकता है आप ने इस लतीफे को सुना हो..कुछ भी हो मुझे बडा अच्छा लगा. चलिये इसे मैं अपने ब्लाग पर डाल रहा हूँ).

ग्यारह लोग एक हेलीकॉप्टर से रस्सी से लटक रहे थे।दस आदमी और एक औरत।रस्सी कमजोर थी और एक साथ इतने लोगों को लटका करले जाने में टूटने का खतरा था।कम से कम किसी एक आदमी को रस्सी छोड़नी ही थीअन्यथा सारे लोगों की जान खतरे में आ सकती थी। पर बलिदान कौन करे?यह सोच विचार चल ही रहा था कि महिला ने भावुक होकर कहना शुरु किया।उसने कहा कि वह स्वेच्छा से रस्सी छोड़ रही है,क्योंकि त्याग करना स्त्री का स्वभाव है।वह रोज की अपने पति और बच्चों के लिये त्याग करती हैऔर व्यापक रूप से देखा जाये तो स्त्रियां पुरुषों के लिये नि:स्वार्थत्याग करती ही आई हैं।जैसे ही महिला ने अपना भाषण खत्म किया,सभी पुरुष एक साथ ताली बजाने लगे।