Tuesday, March 23, 2010

भूत पड गया लालाजी के चक्कर में - एक लोककथा


कायस्थ लोग कलम के तेज या कहे धनी होते है । बिहार में कहावत है कि क्षत्रिय के तलवार के धार से भी बडी धार होती है लालाजी के कलम में । लाला जी की नयी नयी शादी हुयी थी । पढे लिखे थे लेकिन कहीं नौकरी नही थी । एक आध साल के बाद उनकी धर्मपत्नी लगीं लाला जी को कोसने । रोज उलाहना देती कि बाबूजी कइसन करमकीट से वियाह कर दिहलन । पत्नी का ताना सुनते सुनते लाला जी परेशान हो उठे । एक दिन अपना कलम दावात उठाया और सोचे कि चलो नही कहीं कुछ रोजगार मिला तो बच्चों को पढाकर छोटा मोटा स्कूल खोल देंगे । अहले सुबह अपने घर का त्याग कर निकल पडे रोजगार की तलाश में । गर्मी का दिन था । चलते चलते भरी दुपहरिया में लाला जी पसीने पसीने हो गये । सुकुमार तो थे ही । दोपहर में एक पेड के निचे घर से बंधे हुये पोटली का खाना खाया । पेड की छांव में लालाजी को निंद आ गयी । खर्राटे लेकर सो गये । वह पेड भूतों का बसेरा था । शाम हुइ भूत जब लौटकर पेड पर वापस आये तो देखा कि एक आदमी सो रहा है । भूतों के तो पौ बारह हो गये उनमें से एक नौजवान भूत ने कहा ..अहा ..आज तो इंसान का ताजा खून पीने के लिये मिलेगा । तभी एक बुजुर्ग भूत ने अपने साथियों को समझाया ...अरे सब जानते है कि यह पेड भूतों का बसेरा है ..यहां तो कोइ इंसान दिन में भी नही फटकता । जरुर कोइ असाधारण इंसान है । बुजुर्ग भूत ने लालाजी को जगाया । लालालाजी की निंद टूटी तो आसपास भूतों के काफिले को देखकर उनके तो प्राण ही सूख गये । लालाजी ने सोचा मरना तो है ही क्यूं ना कुछ अक्ल का इस्तेमाल किया जाये । बुजुर्ग भूत ने लाला जी को डपटते हुये पूछा ..अरे इंसान के बच्चे तुम कौन हो ..तुम्हें डर नही लगा कि ये पेड भूतों का बसेरा है । लालाजी ने हिम्मत का प्रदर्शन करते हुये कहा ..हमें क्यूं डर लगेगा तुम लोग अब अपनी सोचों । बुजुर्ग भूत थोडा सहमा और बोला ..आखिर क्यूं ..। लालाजी ने कहा कि मैं इंद्र देवता का क्लर्क हूं ..मुझे देवता ने यहां भेजा है कि जाओ धरती पर और इस पेड के निचे रहने वाले भूतों का सर्वे करो । ये भूत निकम्मे और कामचोर है पूरी गिनती कर जल्द ही इन्हें खेतों में काम पर लगाओ। बुजुर्ग भूत ने लालाजी के पांव पकड लिये । हे किरानी महाराज सदियों से हमलोग स्वच्छंद जीवन जीते आये है । हमें ऐसी सजा नही दिजीये । ले देकर मामला रफा दफा किजीये । आप जो कहें हम करने के लिये तैयार है । लालाजी ने मन ही मन सोचा कि तीर सही निशाने पर लगा है । ठिक है देवता तो हम पर पूरा विश्वास करते है । चलिये रोज २० क्विंटल अनाज घर पहुंचा दिजीये मैं इस मामले को अपने रिस्क पर सुलझाने की कोशिश करता हूं। लालाजी घर लौट आये । बस अगले दिन से रोज २० क्विंटल अनाज लाला जी के घर रोज पहुंचने लगा । लालाइन को भी लगा कि बाप रे बाप हम झूठ ही अपने मर्दाना की काबलियत पर शक करते थे । लालाजी के घर अब खुशियों की बारिश होने लगी । यह सब देखकर लालाजी के पडोसी व्यापारी भाइ को नही सुहाया । सोचा कि लाला जी कि इस सफलता के पिछे क्या राज है ? व्यापारी ने अपनी पत्नी को जासूस बनाकर लालाइन से इसका भेद जानने के लालाजी के घर भेजा । लालाइन सीधी साधी थी सारा राज व्यापारी की पत्नी को बता दिया । व्यापारी ने सोचा अच्छा बेटा तो तुम्हारी सफलता का ये राज है । उसी दिन शाम को व्यापारी भाइ चल दिये उस भूतों वाले पेड के निचे । जानबूझकर मटियाकर सो गये । भूत आये । व्यापारी को जगाया । व्यापारी ने वही डायलाग बोला जो लालाजी ने भूतों से कहा था । भूत एक साथ जब डपटे तो व्यापारी महोदय के प्राण सूख गये । उन्होने सच्चाइ बता दिया । भूतों ने व्यापारी की खूब पिटाइ की और दंडस्वरुप उन्हें ये कहा कि तुम लालाजी को रोज २० किलो घी दंड के रुप में पहुंचाओ । व्यापारी भाइ मान गये । जाकर लालाजी से आरजू मिन्नत की तो लाला जी ५ किलो डेली पर मान गये । अब तो लालाजी के दिन और मजे से कटने लगे । एक दिन बुजुर्ग भूत ने अपने साथियों से मंत्रणा की कि कहीं ये लालाजी हमलोगों को वेवकूफ तो नही बना रहा है । अगले दिन बुजुर्ग भूत अपना चोला बदलकर कुत्ते के भेष में लालाजी के यहां पहुंचे । लालाजी के कुत्ते का नाम गिरधारी था ..लालाजी खाना खाने के बाद अपने कुत्ते को गिरधारी आ आ करके बुलाया । संयोग से बुजुर्ग भूत का नाम भी गिरधारी था । उसकी तो सिट्टी पिट्टी गुम । कुत्ते का भेष त्यागकर बुजुर्ग भूत लालाजी के चरणों में गिर पडा । हे किरानी महाराज मुझे माफ कर दिजीये मैने बेवजह आप पर शक किया । लालाजी को समझ में आ गया कि भाग्य ने गेंद तो फिर मेरे पाले में फेंक दिया है । लालाजी ने बुजुर्ग भूत से कहा देखो भाइ तुम्हें तो इसके लिये मुझे कडी से कडी दंड देनी चाहिये लेकिन चलो मैं तुम्हें बक्श देता हूं । हां तुम ऐसा करों कि रात में तुमलोगो मेरे गोदाम में आओं और जो कच्चा अनाज तुम लोग दे आते हो उसकी रोज पिसाइ करों । बुजुर्ग भूत ने एवमअस्तु कहा और वापस अपने पेड की ओर लौट आया ।

Friday, March 19, 2010

नजर सुरक्षा चक्र -- इलाज से बढिया ऐहतियात बरतें


नाम- मिसेज देसाइ ...राजस्थान की रहने वाली ..इनके पति बहुत बडे व्यवसायी है । दस साल पहले इनकी बर्तन की एक छो‍टी सी दूकान थी । अपनी मेहनत और कर्म के बलबूते आज इनकी बर्तन की तीन तीन बडी फैक्टरियाँ है । सब कुछ ठिक ठाक चल रहा था । एक दिन इनकी चाची सास इनके घर आ गयी ..बस बोलना शुर किया ..बाप रे बाप कितनी तरक्की तूने कर ली है ..ऐसा व्यापार ..इतने पैसे ..तेरी पत्नी के इतने गहने ..और एक मेरे पति जो सिर्फ गवांना जानते है बनाना नही । तभी चाची की दोनो आंखों से चिंगारी निकली ( ठिक वैसा ही जिस तरह रामायण सीरियल में राम के वाण चलने के बाद रावण तक पहुंचते पहुंचते ( रे यानि किरण का रुप लेकर पहुंचती थी ) और उसके बाद मिस्टर देसाइ की आँखो मे जाकर चुभ गयी । एक स्पेशल इफैक्ट होता है और मिस्टर देसाइ के शरीर का अग्र भाग बिल्कुल लाल हो जाता है । बस क्या था ..उसी दिन से मिस्टर देसाइ उखडे उखडे रहने लगे । धीरे धीरे उनका व्यापार भी उजडने लगा । पूरा परिवार परेशान हो उठा । भला हो मिसेज देसाइ का जिन्होने बिना अपनी पति के अनुमती के बगैर इस नंबर पर संपर्क किया ( ९३१२९२२६२२६) फिर एसएमेस किया ( एनएसके ५६७६७) और उसके बाद उन्हें मात्र २३७५ रुपये में मिला नजर सुरक्षा चक्र । दिव्य ऋषी संस्थान के वैग्यानिकों के द्वारा बनाया गयी एक ऐसी माला जिसके पहनने के बाद आपके इर्द गिर्द वह माला पोजीटिव एनर्जी क्रियेट करता है और आप पर डाले गये निगेटीव एनर्जी की काट करता है । माला के पहनते ही मिस्टर देसाइ का जीवन ही बदल गया और उनका व्यापार भी अपने पुराने ढर्रे पर आ गया । चाची सास आज भी उनके पास आती है और निगेटीव एनर्जी क्रियेट करती है लेकिन वाह रे नजर सुरक्षा चक्र का कमाल ..समझिये नजर लगानेवाली की ऐसी तैसी । पुणे की रहनेवाली पेशे से शिक्षिका बरखा गुप्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ उनकी भाभी ने बरखा की शादी काट दी । नजर सुरक्षा का लाकेट पहनते ही उनकी भी दुनिया बदल गयी । महामंत्रों के जाप इस लाकेट में इनबिल्ट है । नजर सुरक्षा ही है आपके भाग्य की चाबी ..और हां ३० दिनों के अंदर इस लाकेट ने अपना काम नही किया तो कंपनी आपसे ली हुइ सहयोग राशी भी वापस कर देगी । जल्दी किजीये क्या पता कोइ बुरी नजर आपका पिछा कर रही है । बचपन में हमारी मां नवरात्री के दिनों में हमारी नाभी पर काजल का टीका लगाती थी ...बुरी नजरों से बचाने के लिये ..गाय भैंस से दूध का व्यापार करने वाले अपने गौशाले में बंदर रखा करते है बुरी नजर से बचाने के लिये । २० साल पहले बिहार में एक अफवाह उडी कि भइया अपने घर पर पंजा छाप के लेबल की छपाइ करों नहीं तो घर की ऐसी तैसी हो जायेगी । सारे घरों पर पंजे का लेबल छप गया बुरी नजरों से बचने के लिये । कुछ वर्षों पहले अचानक गणेश जी दूध पीने लगे । हालांकि उन्हीं दिनों एक डेमों में एक प्रसीद्ध वकील ने गणेश जी को शराब भी पिला डाली । दूकानदार जब शाम को अपनी दूकान बंद करते है तो बंद शब्द का प्रयोग नही करके बढाना शब्द का उपयोग करते है । रवि शास्त्री ने अपना एकमात्र दोहरा शतक आष्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में लगाया । उस मैच में जो जुराब उन्होने पहनी थी उसे लगाचार फटे चिथडे हालात में भी दस साल टोटके के तौर पर पहनते रहे ।तेंदुलकर अच्छी पारी खेलने के बाद और कपिलदेव क्रिज पर पहुंचने के पहले सूर्य भगवान को अभिनंदन करना नही भूलते । ऐसे में मेरी सलाह है आप सब टोटके को छोडकर नजर सुरक्षा चक्र को अपनाये कोइ विघ्न आपके पास नही फटकेगा ।