Monday, November 17, 2008

छत्तीसगढिया सबले बढिया


एक बार आया था छत्तीसगढ ..थोडा दिन रायपुर में रुका और चला गया था । इस बार लगभग आधा छत्तीसगढ घूम गया । चुनाव कवर करने आया हूं। कांग्रेस और भाजपा यहां के प्रमुख राजनैतिक दल है ..लेकिन अगर नेताओं की बात करें तो बडे नेता या कहे कि उंची रसूख रखने वाले नेता यहां के बाहर के है । यहां की मूल जाति हाशिये पर है । बस्तर के पूरे इलाके में आदिवासियों का हथियार उठाना ये साबित करता है कि उन्हें राजनैतिक दलों से कोइ आशा नही रह गयी है । नया राज्य बनने के बाद यहां की अर्थव्यवस्था पर विल्डरों और प्रापर्टी डिलरों का लगभग कब्जा हो गया है । बिलासपुर के आसपास बडे कारखाने पर्यावरण कानूनों की धज्जीया उडा रहे है और सरकारी टैक्स की भी जमकर चोरी कर रहे है । अग्रवाल , खंडेलवाल , पाणडेय , चौबे आदि का राजनैतिक और सामाजिक रसूख है । विधानसभा के सदर प्रेम प्रकाश पांडे भिलाइ से जीतते है और रहने वाले गोरखपुर के है ..हालांकि अब वे यहां के निवासी हो चुके है । वैशालीनगर विधानसभा हल्के में गया ..वहां भाजपा की तेजतर्रार नेत्री सरोज पांडे का मुकाबला कांग्रेस के ब्रजमोहन सिंह से है ..सरोज वाराणसी की और ब्रजमोहन उन्नाव के ..वहां लड रहे चौदह प्रत्याशियों में १२ बनारस से है । मुख्यमंत्री रमन सिंह का मुकाबला वहां दो बार विधायक रह चुके उदय मुदलियार से है ..जानकर बडा आश्चर्य हुआ कि मुदलियार का पैत्रिक निवास तमिलनाडू में है । आदिवासियों के एक गांव में गया ..बडी दीन हिन स्थिती में गुजर बसर करने पर मजबूर है ...ऐसा लगभग प्रत्येक आदिवासी गांवों में आपको देखने को मिलेगा । परसापानी गांव का नाम है ..विलासपुर जिले में है । जब वहां के गिने चुने हैंडपंपों से पानी निकलना बंद हो जाता है तो ग्रामवासी एक गंदे पानी के नाले को रेत का मोटा बांध बांधकर बांध के दूसरी तरफ से बालू को खोदकर पानी पीते है ...वो पानी फिल्टर हो जाता है ...विल्कुल शुद्ध पानी की तरह हमने भी पीया ..मीठा लगा । सरकारों ने खूब योजनाए बनायी आदिवासियों के कल्यान के लिये ..लेकिन ऐसा लगता है कि उन योजनाओं के पैसे सेठ ., दलाल , साहूकारो और पालिटिसीयन की तिजोरियों में पहुंच गयी । ऐसे लोगों के घरों को हमने देखा ..आवाक रह गये ।