कांग्रेस के लाख दुर्दीन आ जायें। हेराफेरी और सीना जोरी से कांग्रेसी बाज नही आते । बात हम बंगाल चुनाव की कर रहे है । बंगाल में ममता बनर्जी की जोरदार वापसी हुइ। कांग्रेसी अपनी साख बचा पाये लेकिन लेफ्ट की लुटिया डूब गइ। बंगाल चुनाव कवर कर रहा था । गांवों में शहरों में जब घूमता था तो लोग कहते थे की ममता की सरकार बनेगी लेकिन उनकी सीटें घटेंगी । दस में से नौ लोगों का यही कहना था । एक चीज जो उलट लग रही थी कि कभी बंगाल के गांवों में लेफ्ट का दबदबा होता था लेकिन जब गांवों में हम घूम रहे थे तो मामला उल्टा चल रहा था । एक बडी बात जो हमने देखी खासकर जब कांग्रेसियों से पूछता था कि आपकी पार्टी का क्या हाल है तो कांग्रेसियों का जबाब था कि ८० प्लस लायेंगे । जब हम पूछते थे कि जहां जहां लेफ्ट लड रहा है वहां क्या कांग्रेसी भी मन के साथ उन्हें वोट कर रहे है ..उनका जबाब था कि वो सब तो ठिक है लेकिन जैसे ही इवीएम मशीन पर हसिया हथौडा देखते है तो लेफ्ट का वो वर्बर ३४ साल याद आ जाता है । आपको याद होगा कि लोकसभा चुनावों के पहले ममता ने कहा था कि जरुरत पडी तो टीएमसी और लेफ्ट साथ आ सकते है । यह ममता के आत्मविश्वास के डिगने का घोतक था । लेफ्ट के आत्मविश्वास को देखिये कि जिस नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के बारे में कहा करती थी कि कांग्रेस और भाजपा में कोइ फर्क नही है उसी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से बाज नही आइ। टीएसी भी यही चाहती थी कि विपक्ष में कांग्रेस आये और लेफ्ट को धाराशायी कर दो ऐसी कमर टूटे कि आने वाले दिनों में खडी ही नही हो पाये ।
Thursday, June 9, 2016
left-right
कांग्रेस के लाख दुर्दीन आ जायें। हेराफेरी और सीना जोरी से कांग्रेसी बाज नही आते । बात हम बंगाल चुनाव की कर रहे है । बंगाल में ममता बनर्जी की जोरदार वापसी हुइ। कांग्रेसी अपनी साख बचा पाये लेकिन लेफ्ट की लुटिया डूब गइ। बंगाल चुनाव कवर कर रहा था । गांवों में शहरों में जब घूमता था तो लोग कहते थे की ममता की सरकार बनेगी लेकिन उनकी सीटें घटेंगी । दस में से नौ लोगों का यही कहना था । एक चीज जो उलट लग रही थी कि कभी बंगाल के गांवों में लेफ्ट का दबदबा होता था लेकिन जब गांवों में हम घूम रहे थे तो मामला उल्टा चल रहा था । एक बडी बात जो हमने देखी खासकर जब कांग्रेसियों से पूछता था कि आपकी पार्टी का क्या हाल है तो कांग्रेसियों का जबाब था कि ८० प्लस लायेंगे । जब हम पूछते थे कि जहां जहां लेफ्ट लड रहा है वहां क्या कांग्रेसी भी मन के साथ उन्हें वोट कर रहे है ..उनका जबाब था कि वो सब तो ठिक है लेकिन जैसे ही इवीएम मशीन पर हसिया हथौडा देखते है तो लेफ्ट का वो वर्बर ३४ साल याद आ जाता है । आपको याद होगा कि लोकसभा चुनावों के पहले ममता ने कहा था कि जरुरत पडी तो टीएमसी और लेफ्ट साथ आ सकते है । यह ममता के आत्मविश्वास के डिगने का घोतक था । लेफ्ट के आत्मविश्वास को देखिये कि जिस नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के बारे में कहा करती थी कि कांग्रेस और भाजपा में कोइ फर्क नही है उसी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से बाज नही आइ। टीएसी भी यही चाहती थी कि विपक्ष में कांग्रेस आये और लेफ्ट को धाराशायी कर दो ऐसी कमर टूटे कि आने वाले दिनों में खडी ही नही हो पाये ।
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