( एक मित्र ने मुझे एक लतीफा मेल किया था ..मैनें पहले इसे नही सुना था ..हो सकता है आप ने इस लतीफे को सुना हो..कुछ भी हो मुझे बडा अच्छा लगा. चलिये इसे मैं अपने ब्लाग पर डाल रहा हूँ).
ग्यारह लोग एक हेलीकॉप्टर से रस्सी से लटक रहे थे।दस आदमी और एक औरत।रस्सी कमजोर थी और एक साथ इतने लोगों को लटका करले जाने में टूटने का खतरा था।कम से कम किसी एक आदमी को रस्सी छोड़नी ही थीअन्यथा सारे लोगों की जान खतरे में आ सकती थी। पर बलिदान कौन करे?यह सोच विचार चल ही रहा था कि महिला ने भावुक होकर कहना शुरु किया।उसने कहा कि वह स्वेच्छा से रस्सी छोड़ रही है,क्योंकि त्याग करना स्त्री का स्वभाव है।वह रोज की अपने पति और बच्चों के लिये त्याग करती हैऔर व्यापक रूप से देखा जाये तो स्त्रियां पुरुषों के लिये नि:स्वार्थत्याग करती ही आई हैं।जैसे ही महिला ने अपना भाषण खत्म किया,सभी पुरुष एक साथ ताली बजाने लगे।
5 comments:
बहुत बढ़िया है....पर मेरा मानना है आलोक भाई.....इस लतीफे के अंदर छिपी स्त्ी की वो भावना....त्याग की बावना....कब इस देश में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलेगा...शायद.......
वैसे आलोक भाई मैं भी जहानाबाद से हूं....
mail id hai: pravinkprabhat@gmail.com
उसकी त्याग भावना को देख दस लोगों ने बलिदान दिया. :)
बाप से बाप,
कभी किसी चिट्ठे पर ऐसे ही हम साधुवाद कहते कहते ताली बजायें और हमारा राम नाम सत्य हो जाये । अब तो सीट बेल्ट लगाकर ही साधुवाद वाली टिप्पणियाँ देंगे :-)
:):)bahut hi badhiya
आलोक भाई, ताली बजाने वाले लोग वामपंथी थे क्या?
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