Monday, July 28, 2008

व्लाग के चिरकुट

चिरकुटों से व्लाग का हर सदस्य परेशान है । आप कुछ भी लिखों भद्दे या पर्सनल कमेंट करके ये चिरकुट अपनी पहचान और वजूद बनाने के लिये प्रयासरत है। अखबार में नाम पढा था बचपन में ठिक उसी तरह ट्रक के निचे जान देकर अपना नाम कमाने की चाहत रखते है ये चिरकुट । कुछ बेहया टाइप के चिरकुट तो अपने वास्तविक नाम और इमेल के जरिये अपनी खुजली करते नजर आते है तो कुछ कायर चिरकुट छद्म नाम से गंदी टीका टिप्पनी करने से बाज नही आते । आलोचना साहित्य की एक महत्वपूणॆ विधा् है लेकिन ये चिरकुट आलोचना नही करते खुल्लम खुल्ला गाली देते है । आप इनके मुंह नही लगियेगा ये लरछुत प्राणी है ।

12 comments:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

सत्यवचन, जीते रहो! एक का तो काम तमाम हो गया.

Rajesh Roshan said...

खीझ तो आ ही जाती है लेकिन इन नामुरादों का किया क्या जा सकता है....कही ऐसा न हो कि यहाँ भी उपस्थिति दर्ज कराने आ जाए.....

राज भाटिय़ा said...

भाई यह तो नंगे हे, इस लिये दिल मत दुखाओ, इन के साथ हम तो नंगे नही ना हो सकते, इन्हे ना सही हमे तो अपनी इज्जत प्यारी हे, इन्हे ध्यान ही मे मत रखॊ, ना ही इन्हे जबाब दो,यानि मस्त रहो

E-Guru Maya said...

लरछुत शब्द पहली बार सुना है इस पर एक लेख की ज़रूरत है. :)

Udan Tashtari said...

सच कह रहे हो भाई!

मगर यह क्या होता है??- लरछुत प्राणी ??

drdhabhai said...
This comment has been removed by a blog administrator.
अजित वडनेरकर said...

सही है। लरछुत के कुनबे से मिलवाइये कभी। हम असली चिरकुट से मिलवाएंगे आपको :)

परेश टोकेकर 'कबीरा' said...

साहब ये चिरकुट सिर्फ ब्लाग पर ही नहीं समाज में सभी दुर पाये जाते है, आईये कुछ महान चिरकुटो की चिरकुटगिरी का कमाल देखे। चिरकुट अमर दल्ला थोडा सा मौका मिलते ही सीधे सोनिया गांधी के सुहागरात बलात्कार तक पहुच गया। उधर आरजेडी के देवेन्द्र प्रसाद यादव-साधु यादव जैसे चिरकुट सोमनाथ दा को अपनी पार्टी ज्वाईन करने का न्यौता तक दे आये। विचारधारा बेच खाने वाले लोहियाकालीन सोशलिस्ट चिरकुट मुल्लु दलाल व उनके रिश्तेदार लालु लेफ्टीस्टों को विचारधारा का पाठ पढाते फिर रहे है। सांसदो की दलाली में हाथ काले कर कांग्रेस के चिरकुट फ्लोर मेंनेजर वायलार रवि 'हार्स ट्रैडिंग' की जिम्मेदारी माकपा पर मढते फिर रहे हैं। उधर करार के तमाम बेकरार समर्थक सोवियत संघ की हिन्दोस्तान को मदत की तुलना इस अमेंरीकी करार से कर रहे है। देश को 'बंधुआ मजदूर' बनावाने पर तुला बुश का चिरकुट 'मन' स्वयं को बंधुआ बनाये जाने की बोम संसद में मार रहा है। सांसदो की खरीद फरोख्त का हल्ला मचा रही चिरकुट भाजपा करार व आर्थिक सुधार के मामले पर खुद को भाव दिये जाने की शर्त पर समर्थन का एलान कर रही है, खैर भाजपा इतनी भी चिरकुट नहीं है कि बगैर किसी भाव-ताव के सरकार का समर्थन कर दें, अब ये तो संघी चिरकुटो पर है कि वो कितने का सौदा पटा पाते है। है न चिरकुटो की कमाल की चिरकुटगिरीया।

कुमार आलोक said...

इगुरु माया और उडनतस्तरी भइया लरछुत का मतलब है चिपकू सट जाये तो हटे नही ..ये भोजपुरी का एक शब्द है ..वैसे लरछुत एक कीडा भी है जो सटे तो हटे नही ।

Manjit Thakur said...

ब्लॉग हमसे और आपसे ही बना है। क्या आपने बाथरुम में किसी को लिखते नहीं देखा है? भारतीय यूरिनल साहित्य का अगाध भंडार हैं..ऐसे सत्-साहित्यकार क्या वेब-लॉग दुनिया में न होंगें? बात करते हैं।

rahul said...
This comment has been removed by a blog administrator.
कडुवासच said...

बहुत सुन्दर, छा गये, लगे रहो, मौका मिले तो "पटक पप्पू . काम" कहते रहो!