Sunday, November 7, 2010

ऐतेहासिक होगा बिहार के लोगों का फैसला


पहले राष्ट्रमंडल खेल फिर ओबामा की भारत यात्रा ..और फिर एशियन गेम्स की चकाचौंध । शायद बिहार का चुनावी संग्राम मीडिया की सुर्खियां बटोरने में थोडा पीछे सा रह गया है। विभिन्न चैनलो और दिल्ली के पत्रकारों ने नीतिश कुमार की पुनः ताजपोशी कर दी है । पिछले दो महीनें से बिहार में हूं । बहुत सारे जगहों पर घूमा । यहां ऐसी कोइ लहर नही जो दर्शाती हों कि अमुक पार्टी को पूर्ण जनादेश देने के लिये जनता बेताब है । अगर पिछले २००५ के विधानसभा चुनावों की बात की जाये तो लालू के खिलाफ एक लहर सी पूरे प्रांत में चल रही थी जिसकी आंधी में सब उड गये और राज्य में एनडीए की सरकार बनी । वैसी आंधी या तूफान यहां देखने को नही मिल रहा है । हां एक बात जरुर नीतिश के चेहरे पर देखने को मिल रही है । सत्ता में वपसी को लेकर वह आश्वस्त ही नही बल्कि ओवरकन्फिडेंट नजर आते है । शाइनींग इंडिया के बाद शाइनिंग बिहार वाली चमक एनडीए के नेता और उनके समर्थक जरुर महसूस कर रहे है । टिकटों को लेकर एनडीए और जद यू में खूब घमासान मचा ..आखिरकार बात बनी और अब तो मात्र दो चरणों के चुनाव बाकि रह गये है । समीक्षकों का मानना है कि बढा हुआ वोट प्रतिशत नीतिश के गठबंधन को तो १५० से १७० सीट तक दिला सकता है या तो यह गठबंधन ८० - ९० सीटों तक सिमट जायेगा । २४३ सीटों पर अकेले चुनावी अखाडे में कूदी कांग्रेस अपने सीटों में कोइ खास इजाफा करने तो नही जा रही लेकिन इस पार्टी ने राजद-लोजपा और भाजपा जद-यू गठबंधन को खासा परेशान किया है । हालांकि राजद गठबंधन को कम ...लेकिन जद-यू गठबंधन को इसका ज्यादा नुकसान उठाना पड सकता है । जिस किसी सीट पर कांग्रेस ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर दमदार प्रत्याशी उतारा है वहां राज्य की दोनो प्रमुख गठबंधन को नुकसान उठाना पड रहा है । पिछले कुछ चुनावों से राजद लोजपा गठबंधन में यादव जाति के लोगों को पासवान पर भरोसा नही था उसी तरह पासवान जाति को यादवों पर भरोसा नही था ..शायद यही कारण था कि हाजीपुर से पासवान को हार का मुंह देखना पडा था । इस बार स्थितियां बदली हुइ है । दोनो जातियां गोलबंद है अपने प्रत्याशियों की जीत के लिये । इसका फायदा इन दोनो दलों को मिल सकता है । लालू ने ७५ सीटें लोजपा को दी है ..लोजपा ने दिल खोलकर सवर्ण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है । लालू की पार्टी से अपेक्षाकृत सवर्णों को कम सीट दी गयी है । लालू से सवर्ण जातियों को चीढ हो सकती है लेकिन शायद पासवान से नही । जैसे जैसे चुनाव अंतिम दौर में पहुंच रहा है ..अन्य मुद्दों पर जातिय फैक्टर ज्यादा हावि हो रहा है । जद-यू के अत्यंत पिछडी जातियों में सेंधमारी को लेकर विपक्षी राजद - लोजपा गठबंधन खासे परेशान है ..वहीं नीतिश कुमार सवर्णों में सबसे आक्रामक जाति की नाराजगी से परेशान दिख रहे है ।अलपसंख्यक वोटों में भी बिखराव दिख रहा है ..लेकिन इसका ज्यादा प्रतिशत लालू वाले गठबंधन की ओर जा सकता है ..जहां जहां कांग्रेस की ओर से दमदार प्रत्याशी है अलपसंख्यकों का झुकाव कांग्रेस की तरफ भी देखने को मिल रहा है । बटाइदारी कानून का मुद्दा हालांकि यहां नजर नही आ रहा लेकिन साइलेंट वोटरों की संख्या को देखते हुये इस मुद्दे का मुर्दा हो जाना कहना गलत होगा । नीतिश सरकार के द्वारा अमन चैन ..रोड के मामले में सुधार ..लडकियों को साइकिल वितरण जैसे विकास के मुद्दे लोगो को खूब भा रहे है ..लेकिन अफसरशाही के हिटलरी रवैये ..गरीबों को दी जाने वाली खाद्यान में घोटाले जैसे मुद्दे नीतिश सरकार के खिलाफ जा रहे है ।शायद यही वजह है कि नीतिश अपनी चुनावी सभाओं में कह रहे है कि सत्ता में वापसी पर भ्रष्ट अपसरों को जेल ही नही भेजेंगे बल्कि उनकी संपत्ती को जब्त कर उसमें स्कूल खोलेंगे । लालू अपनी सभाओं में उंची जातियों से खूब माफी मांग रहे है कह रहे है कि आज सारे सवर्ण जाति के लोग समझ रहे है कि लालू मुंह का फूहड है दिल से नही और नीतिश दिल के काले है । कांग्रेस और राहुल गांधी पर भी खासकर जद-यू की तरफ से खूब आक्रमण हो रहा है ..शरद यादव का बयान गंगा में फेंक देने वाला ..पर खूब हंगामा हुआ। कांग्रेस का मानना है कि जद-यू के वोट वैंक में सेंधमारी से एनडीए के लोग बौखला गये है ।विश्लेषकों का मानना है कि सन २००३ के राजस्थान विधान सभा चुनावों में अशोक गहलोत से राज्य की जनता को कोइ नाराजगी नही थी । सर्वेक्षणों में वेस्ट मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत सबसे आगे थे लेकिन जब चुनाव के परिणाम आये तो भाजपा ने कांग्रेस का सूपडा साफ कर दिया । गहलोत के खिलाफ नही बल्कि उनके मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ जबरदस्त ऐन्टीइंकंबेंसी मत पडे । कुछ क्षेत्रों में ऐसी स्थिति देखने को मिली लेकिन राजस्थान जैसे हालात यहां नजर नही आ रहे है । कुल मिलाकर यहां लडाइ दिलचस्प है और २४ तारिख को जब मतों की गिनती होगी तो बिहार के लोगों का जनादेश अपने आप में ऐतेहासिक माना जायेगा । लोगों ने विकास को ही तरजीह दी या जातिय समीकरण का ही ख्याल रखा यह देखना ज्यादा महत्वपूर्ण रहेगा ।

1 comment:

Amit Kumar said...

Haan, Delhi wali media ka bat to kuch aisa hi lagata hai. Mai Star News Par "Kaun banega Mukhmantri" dekh raha tha usme to Star News walone % vote bhi dikha raha tha. 71% Nitesh ko, 12% Lalu, 7% Rabri devi and 6% Ramvilash. Pata nahi in log kaise servy karte hai. Haan lekin last night mai Sushan Babu Nitish Kumar ka ek interview dekh raha tha, jisme unka confindence level 100% se bhi upar dhik raha tha is mai second bar Bihar ka CM hun,

Regards,
Amit Kumar