Tuesday, December 25, 2007

क्या होगा इन्डिया का कन्गारुओं के देश में

क्रिकेट फ़ीवर एक बार फ़िर दिवानों के रग रग में बस गया है. ट्वेन्टी ट्वेन्टी में अप्रत्यषित सफ़लता के बाद टीम इन्डीया उत्साह से लबरेज है.मुझे याद है कि सन १९८० का वो दौरा जब भारत ने एक मैच हारकर लीली और पास्को के तूफ़ान को किस तरह धाराशायी कर दिया था . एडीलेड टेस्ट में तो सन्दीप पाटील और यश्पाल शर्मा की जोडी ने तो मानो कन्गारुओं के आक्रमण की धज्जियां उदा दी थी. पाटील के १७४ रनों को आज भी कंगारु भुलाये नही भुलते. टेस्ट ड्रां हो गया. और अगले टेस्ट मेल्बोर्न मे़ कंगारुओ की पारी को ८५ रनों पर समेट कर भारत ने समेत कर ऐतेहासिक जीत दर्ज की थी. सीरीज बराबरी पर समाप्त हो गया. कुछ वैसा ही पिछ्ले दौरे मे हुआ . सेहवाग , गांगुली , सचिन , कुम्ब्ले , आदि के बेह्तरीन प्रदर्शन के बदौलत भारत ने एक बार फिर सिरिज बराबर करने में सफ़लता पाइ. इस बार फिर सारे क्रिकेट जगत की निगाह मौजुदा सीरिज पर लगी है . अगर भारत ने कंगारुओं पर अपनी बादशाहत कायम कर ली तो कंगारुओं की राजशाही पर बिश्व क्रिकेट जगत में संशय अवश्य हो जायेगा. भारत को हर हाल में आक्रामक होना पडेगा चाहे बल्लेबाजी की बात हो या गेंदबाजी की या फ़िल्डिन्ग की .