Saturday, May 10, 2008


मैथेमैटिक्स किंग वशिष्ठ नारायण

हाल ही में पटना के एक संस्थान ने वशिष्ठ नारायण जी के नाम पर अपनी संस्था का नामकरण किया। इस अवसर पर खुद वशिष्ठनारायण जी अपने परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचे थे। गणित के इस जादूगर को जब मंच पर बुलाया गया तो वे कुछ गणीत के सूत्र ही बुदबुदा पाये।2005 में मैँ इनके गांव वसंतपुर पहुँचा था जो आरा शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर है । गांव के बीचोबीच एक पक्का मकान है। घर के बरामदे पर एक खाट पर सोये थे वशिष्ठ नारायण। मैने सिर्फ उनका नाम सुना था ।साक्षात देखने के बाद मेरे अंदर जो सुख की अनुभूती हुइ मैं उसका बयान नही कर सकता। उनके चेहरे पर मक्खियाँ भिनभिना रही थी । मैंने हांकने की कोशिश की तब वे जाग उठे। बहुत प्रार्थना करने के बाद परिवार के अन्य सहयोगियों की मिन्नत पर वे साक्षात्कार के लिए राजी हुए। जल्दी बोलिये क्या पूछना है....जरा अपना पेनवा दिजीयेगा बडा अच्छा है ,,पायलट का पेन मैनें पाकेट से निकाल कर दे दिया। अपने कुर्ते के पाकेट से उन्होने छोटे छोटे बंडल निकाले।जिसमें दो तीन चूडी ,कुछ धागे और बाल पेन का रिफील ...उन्होने मेरे पेन को उन्हीं सामानों के साथ रख लिया । मैने पूछा सर मैथ क्या है उन्होने मैथस के कुछ सूत्र बोलने शुरु किये। फिर वो ऐटम बम के बारे में बोलने लगे। उसके बाद उन्होने कहा चलिये अब भागिये यहां से ...मैने कुछ हठ किया तो उन्होने मुझे डांटते हुए मुझे वहां से भाग जाने के लिए कहा। खैर मुझे लगा कि इंटरव्यू के चक्कर में किसी की भावनाओं से खेलना ठिक नही है।घर के पूरे दिवार पर उन्होने मैथस के सूत्र और सीताराम से संबंधित भजन के सूक्त लिख रखे थे। बिहार के राजनीतिग्यो में लालूजी और रामविलास जी के बारे में उनके परिवारवालों ने खूब बडाइ की । केन्द्रिय मंत्री अर्जुण सिंह ने भी अपनी ओर से इस परिवार को मदद प्रदान की है। परिवार वालों ने एक वाक्या सुनाया ॥लालूजी वशिष्ठ बाबू का हालचाल जानने वसंतपुर पहुंचे। वशिष्ठ बाबू ने कहा कि ए लालूजी एगो रुपया देब...लालूजी के पास शायद पाकेट में एक सिक्का नही था..वशिष्ठ बाबू भडक गये कहा जो एक रुपया नही दे सकता वो हमारी मदद क्या करेगा। हालांकि उनकी मानसिक स्थिती ने ऐसा कहलवा दिया हो...पिछले कइ बर्षों से सिजोफ्रेनिया से ग्रसित वशिष्ठ बाबू के बारे में गांव वालों ने दिखाया मीडिल स्कूल जहां उन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी। पीपल का बडा सा पेड सूखा पडा था और स्कूल की जर्जर इमारतों को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों अब रो पडे॥पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपती एस एन पी सिन्हा ने वशिष्ठ बाबू पर एक वायोग्राफी लिखी है वि्श्व अप्रितम गनितग्य .इस किताब में उनके जीवन और उपलब्धियों पर लेखक ने बहुत ही सुंदर चित्रन किया है।पटना में आयोजीत समारोह में वशिष्ठ बाबू की मां ल्हासो देवी ने अपने संबोधन में सिर्फ़ यही कहा कि मेरे पुत्र को भला चंगा करने में लोग आगे आकर मेरी मदद करें।आइये हम सब मिलकर भारत के इस धरोहर के लिए आगे आकर मदद का हाथ बढायेँ।