(अभी मैं तारेगना में ही हूं। सूर्यग्रहण के बाद तारेगना को सब लोग जान गये है । आर्यभट्ट् के बारे में इसी शहर के रिसर्चकर्ता सिद्शेश्वर नाथ पांडेय हों या यूपी के प्रताप गढ में जन्में और तारेगना को अपनी कर्म स्थली बनाने वाले नारायण जी हों । नारायण जी एक बहुत अच्छे कवि भी है ..२२ जुलाइ को तारेगना के पूर्ण सूर्यग्रहण को देखा और एक छोटी कविता को हमारे पास भेजा है । हम उसे प्रकाशित कर रहें है । )
कौतुक विस्मय ललक पल पल छलक छलक ।
अद्भुत स्पन्दन ...अभिनंदन अभिनंदन शुभ शुभ पूर्ण सूर्यग्रहण ... अभिनंदन
अपलक नयन गगन गगन
अपलक नयन गगन गगन
छितीज चरण चरण
पल पल परिवर्तन
मन्द मन्द सिहरन सिहरन ,
सुन मौन गगन का उद्भोदन
कर वंदन ..... अभिनंदन अभिनंदन
भय-मान भयानक कृष्णावरण
पूर्ण प्रकाश वृत-चन्द्रशयन
वृन्द विहग सब विस्मित- शंकित सुन पद्चाप
काल - व्याल सन्निकट मरण
पर पायें तीव्र त्वरण अभिनंदन अभिनंदन ।
गर्भ ब्रहांड व्यवस्थित कालक्रम गति नियम ।
अनवरत स्वंय अनुपालन व्यतिक्रम
प्रमाण प्रत्यछ पवन ॥
विभु को कर हर प्राण नमन
अभिनंदन अभिनंदन ॥ ॥
शुभ शुभ पूर्ण सूर्यग्रहण
4 comments:
सुंदर काव्य!
वाह !! पर तारेगना या तरेगना .. कुछ लोग तरेगना बोल रहे हैं .. सही क्या है ?
वाह्! अति उत्तम काव्य रचना!!!
तारेगना की जय हो....
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